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बज़्म ए जिगर की ओर से एक शाम “भाई चारे के नाम” से कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन।


बज़्म ए जिगर की ओर से एक शाम “भाई चारे के नाम” से कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन

कवि शायरो ने देशप्रेम,आपसी सौहार्द ,भाईचारे पर उम्दा कलाम पेश कर खूब दाद पाई

ऐसे खूबसूरत आयोजनो से देश की एकता अखंडता मजबूत होती है….मौहम्मद मौअज़्ज़म खां

 

नजीबाबाद। बज़्म ए जिगर नजीबाबाद की ओर से बीती रात शायर शादाब ज़फ़र के नवाबपुरा आवास पर एक शाम “भाई चारे के नाम” से कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन किया गया। जिस आये कवि व शायरो ने देशप्रेम,आपसी सौहार्द ,भाईचारे पर उम्दा कलाम पेश कर खूब दाद हासिल की।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पूर्व चेयरमैन व वरिष्ठ अधिवक्ता मौहम्मद मौअज़्जम खां ने कहा कि ऐसे खूबसूरत आयोजनो से देश की एकता अखंडता मजबूत होती है। वही देश में भाईचारा कायम होता है। आज देश को ऐसे आयोजनो की सख्त जरुरत है जो भाईचारे को बढावा दे।
कवि सम्मेलन व मुशायरे का आगा़ज़ सरस्वती वंदना व नात ए रसूल ए पाक से अजय जौहरी व अकरम जलालाबादी ने किया। ग़ज़ल के दौर में मौहम्मद मौअज़्ज़म खां एडवोकेट ने कलाम पेश करते हुए कहा….पारा पारा हुआ पैराहन ए जां,फिर मुझे छोड गये चरागर ए जां। डाक्टर रईस भारती ने कहा…. यौम ए भाईचारा मनाने आयें है, एक है हम ये दिखाने आये है। मौसूफ अहमद वासिफ ने कहा. तमाम उम्र की गैरत का सिलसिला ना गया,वो चाहता था बहुत मुझ से कुछ कहा ना गया। अजय जौहरी ने कहा….समय फिर मुस्कुराना चाहता है,तेरे संग गुनगुनाना चाहता है। शादाब जफ़र शादाब ने पढा…थोडा़ सा सर फिरा हूं मुझे मार दीजिए, सच बात बोलता हूं मुझे मार दीजिए। जितेन्द्र कक्कड ने कहा…आला भी तू, अव्वल भी तू ,हर नूर में जज़्बा तू ही तू,पीरो में तू पैगम्बरो मे तू , एक बनस्पति में तू ही तू। डाक्टर बेगराज यादव ने कहा….चाहत की प्यास रख, मंजिल की आस रख, सफलता पानी है तो खुद पर विश्वास रख। अकरम जलालाबादी ने कहा….जो इंसा अपनी मनमानी पे आया, यकीनन वो परेशानी में आया। नीरज सिंहल ने कहा…ना कोई हिन्दू होता है ना कोई मुसलमान होता है, करें जो एक दूसरे की इज्ज़त वो इन्सान होता है। साजिद खान कोटद्वावरी ने कहा….तुम अगर दीनदार हो जाओ , बाखुदा बावका़र हो जाओ। रिज़वान अहमद ने कहा…कच्ची नींद में आये अधूरे ख्वाब की तरहा, हमने इक उम्र काटी है यहा अजा़ब की तरहा। नौशाद अहमद शाद ने कहा….गया है आज जो कर के अश्कबार मुझे, मिला है उस को भूलाने से ही अब करार मुझे। पेश कर खूब दाद हासिल की।
कवि सम्मेलन मुशायरे में हाजी अनीस सलमानी,अल्ताफ रजा़, डाक्टर वसीम बारी, कसीम अहमद एडवोकेट,साजिद सलमानी, नफीस सैफी, नसीम उस्मानी, आकिफ हुसैन अक्की, इरफान अहमद मंसूरी, शहबाज़ खांन, पुत्तन खान, अनुज जौहरी, कामरान नजमी, हैदर नज़मी, हुमाम नजमी आदि मौजूद रहे।
कवि सम्मेलन मुशायरे की अधयक्षता डाक्टर रईस भारती ने की व संचालन शादाब ज़फ़र शादाब ने किया।

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