(बिजनौर)
झालू/खारी। कारी अब्दुल कवी ने कहा कि जिलहिज्जा इस्लामी साल का आखिरी महीना है और यह हुरमत वाले महीनों में से है इसमें बहुत से आमाल और बहुत सी फजीलत है जिनकी वजह से यह फजीलत वाला महीना है इसके शुरू के 10 दिन और 10 रातें बड़ी फजीलत रखती हैं इसमें कुर्बानी और हज वगैरा ऐसे एवं आमाल हैं जिनकी वजह से अल्लाह ने इस महीने को खास ह़ुरमत और फजीलत से नवाजा है इस महीने में कुर्बानी का अमल ऐसा अमल है जिसका कोई बदल नहीं नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलयही वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो शख्स ताकत और कुववत रखने के बावजूद कुर्बानी ना करें वह हमारी ईदगाह के क़रीब भी ना आए नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलयही वसल्लम ने सख्त नाराजगी जाहिर की ऐसे शख्स पर जो कुर्बानी के दिनों में यानी 10 11 12 जिलहिज्जा में ताकत और कूवत के बावजूद कुर्बानी ना करें नबी सल्लल्लाहु अलयही वसल्लम का सख्त नाराजगी जाहिर करना इस बात की दलील है की कुर्बानी करना वाजिब और जरूरी है क्योंकि जो सख्त वईद और नाराजगी का इजहार होता है यह किसी वाजिब और जरूरी काम को छोड़ने पर होता है इससे मालूम हुआ की कुर्बानी करना मुसलमानों पर लाजिम और जरूरी है अब सवाल ये उठता है की कुर्बानी करना किस मुसलमान पर वाजिब है कुर्बानी करना उस बालग़ मर्द औरत पर वाजिब है जो कुर्बानी के दिनों में निसाब का मालिक हो जिसकी मिल्कियत में साडे 7 तोला सोना जिसका वजन आज के ग्राम के हिसाब से 87 ग्राम 479 मिलीग्राम होता है या साडे 52 तोला चांदी जिसका वजन आज के ग्राम के हिसाब से 612 ग्राम 35 मिलीग्राम होता है या उसके बराबर रुपया पैसा या तिजारत का सामान या घर में रखा हुआ जरूरत से ज्यादा सामान या रहने वाले मकान के अलावा कोई शायद मकान या प्लांट वगैरह हो तो ऐसे शख्स पर कुर्बानी करना वाजिब है कुर्बानी बाजी होने के लिए माल पर साल गुजर ना जरूरी नहीं बल्कि अगर किसी के पास ईद वाले दिन भी निसाब के बराबर माल आ गया तो उस पर कुर्बानी करना वाजिब है यहां तक के अगर 12 जिलहिज्जा को भी इतना माल हासिल हो गया तो भी कुर्बानी बाजिब हो गई।
उन्होंन कहा कि प्रतिबंधित जानवरों कि कुर्बानी ना करे।नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलयही वसल्लम ने फरमाया कुर्बानी का जानवर कयामत के दिन 70 गुना ज्यादा मोटा होकर आएगा और नेकी तोडलने वाले तराजू में रखा जाएगा लिहाजा ज़ोक़ ओर शोक़ और ख़ुश दिली के साथ अल्लाह को राजी करने के लिए कुर्बानी करना चाहिए ।